राहों में तेरी हम फूल बिछाये हुए हैं,
आने की तेरी आस , जगाए हुए हैं,
दरवाजे पर निगाह टिकाये हुए हैं
है अँधेरा अब आने को मगर,
उम्मीदों का चिराग जलाये हैं,
आने की तेरी आस , जगाए हुए हैं,
दरवाजे पर निगाह टिकाये हुए हैं
है अँधेरा अब आने को मगर,
उम्मीदों का चिराग जलाये हैं,
तेरे इंतज़ार में कितने पराये हुए हैं.
सब्र मेरा देख कर लोग भरमाये हुए हैं.
दवा की जरूरत न रही अब मुझे
दर्द के इतने सताए हुए हैं.
कह देते लोग मुझे भी पागल, दीवाना,
पर शराफत में शर्माए हुए हैं.
क्या लिखूं गज़ल जब सब गाये हुए हैं,
कहने को तो सब लुट गया, अभिषेक
तेरी याद है जो, दिल में बसाये हुए हैं.
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